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इसका संक्षिप्त जवाब “नहीं” में है, एक मजिस्ट्रेट द्वारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के प्रावधानों के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को किसी अपराध में जांच करने के आदेश नहीं दिए जा सकते है।
CBI बनाम राजस्थान राज्य, (2001) 3 SCC 333 : 2001 Cri LJ 968 : AIR 2001 SC 668,: के मामले में, सीआरपीसी की धारा 156 (3) Section 156 (3) of CRPC के तहत मजिस्ट्रेट की शक्ति को बढ़ाया नहीं जा सकता है। जांच के लिए पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निर्देशित करने से परे और सीबीआई को ऐसी कोई दिशा नहीं दिया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने CBI बनाम राजस्थान राज्य के मामले में मजिस्ट्रेट के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमे एक मजिस्ट्रेट द्वारा किसी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को जाँच के लिए आदेश दिए गए थे |
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कहा है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत गठित विशेष अदालतें मामले की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो को निर्देशित नहीं कर सकती हैं। इसके लिए, केवल सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को अधिकार दिया गया है ।
ऐसा ही गन रोक एन्क्लेव बनाम पी. रंगनाया कम्मा,
2006 के मामले में आधप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा था की उच्च न्यायालय से निचली न्यायलय को सीबीआई जाँच के आदेश देने की शक्ति नहीं है |
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No
yes I agree with this . A Magistrate, acting under the provisions of Section 156(3) of the Cr.P.C cannot direct investigation into an offence by the CBI.