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लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को कैसे पुनर्जीवित किया जाए || How to revive the economy after lockdown

लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को कैसे पुनर्जीवित किया जाए

विश्व की  अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन का भयानक प्रभाव पड़ रहा  है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा भयानक आर्थिक संकट इस समय  देखने को मिल रहा है ।

लॉकडाउन   में धीरे-धीरे प्रतिबंध कम  किए जा रहे हैं और  बाजारों में  छूट की सूची धीरे-धीरे बढ़ाई  जा  रही है, लॉकडाउन में भले ही धीरे-धीरे छूट दी जा रही हो पर इसका असर अर्थव्यवस्था सुधार में धीरे-धीरे ही देखने को मिलेगा । लॉकडाउन में  दी जा रही छूट का कोई मापदंड नहीं है कि इससे कब तक सुधार देखा जाएगा और कब तक हमारे देश की अर्थव्यवस्था को  पटरी पर लाया जायेगा ।

अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था में  सुधार  के लिए  अभी और कदमों की जरूरत है। अभी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सरकार को सहयोग के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे ।

मांग में आई कमी को दूर करना

बाजार में  मांग को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को  हर संभव प्रयास करने होंगे ।  पूंजी की कमी दूर करने मात्र से अर्थव्यवस्था को नहीं सुधारा जा सकता है,  क्योंकि पिछले 1 साल में यदि पूंजी का  अभाव होता तो  हमारे उपक्रम बाजार में मांग की पूर्ति नहीं कर पाते,    बाजार में वस्तुओं का अभाव पैदा हो जाता और महंगाई बढ़ने लगती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

गैर-खाद्य वस्तु और गैर-ईंधन मुद्रास्फीति वास्तव में पिछले  1 साल से गिर रही है। सकल मुद्रास्फीति भी थोड़ी बढ़ी है, लेकिन इस बढ़त के लिए शहरी खाद्य उत्पादों की महंगाई जिम्मेदार थी, बाजार में पिछले 1 साल से यह पता नहीं चल पा रहा था कि उत्पादक बाजार में उठ रही मांग की पूर्ति नहीं कर पा रहे थे। उत्पादक अपने सामान के साथ बैठे थे , लेकिन खरीदार कम आ रहे थे, इस लिए बाजार में  मांग  का बढ़ाना  जरूरी है ।

निजी क्षेत्र  को सहयोग

केंद्र और राज्य सरकार को निजी क्षेत्रों  के सहयोग में खड़ा होना पड़ेगा, इस लॉकडाउन और इस भयानक महामारी में  निजी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा देना चाहिये व  वित्तीय और अन्य हर संभव प्रयास करने चाहिए ।

पूंजी और तरलता में कमी को दूर करना

अर्थव्यवस्था में तरलता की समस्या है,  धन की उपलब्धता की कमी है , विशेष रूप से व्यवसायों को निवेश करने और बढ़ाने के लिए धन की कमी पड़ रही है? तो समस्या दूर करने के लिए तरलता को बढ़ावा देने के कदमों की को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि लॉकडाउन के कारण अचानक से पूंजी पलायन की स्थिति बनी है, तो अर्थव्यवस्था में तरलता की समस्या के सुधार के लिए किए गए उपाय धरे रह जाएंगे।

समयबद्ध जीएसटी रिफंड का तेजी से भुगतान और सरकार द्वारा किये गए आर्थिक पैकेज की घोषणा मात्र से  विकास को गति मिल जाएगी। और  पूंजी के अभाव के कारण ही भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादन प्रभावित हुआ है ।

नीतियों में हो सुधार 

विमुद्रीकरण और GST  जैसे आक्रामक उपायों के कारण भी भारतीय बाजारों में  पिछले 2 साल से  मांग  में  कमी आई  है। पहले बेहिसाब या गैर-खाता आय के कारण जो बाजार में मांग पैदा होती थी, उसमे बहुत कमी आई है,  इसके साथ ही घरेलू बचत में भी बहुत कमी आई है, और लॉकडाउन के कारण  जो बची हुए बचत थी उसमे बहुत ज्यादा कमी आई है,   लोगों की आय घट रही है और वे बचत तोड़कर खर्च करने को विवश होने लगे हैं।  तो सरकार को अपनी  नीतियों पर ध्यान देना होगा और इनमे सुधार लाने की आवश्यकता है ।

वर्तमान में अर्थव्यवस्था को सुधार के लिए मांग में आई कमी  को दूर करने के उपाय करने होंगे । अब तक अनेक उदाहरण उपलब्ध हो चुके हैं, जो बताते हैं, की अर्थव्यवस्था में गिरावट  मांग में ही समस्या है।

क्योंकि मांग के बढ़ाने पर रोजगार, व्यापार में पूंजी व बाजार में तरलता, सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी और यह कह पाना  संभव है की इन सब में बढ़ोतरी  अर्थव्यवस्था सुधार के लिए सकारात्मक होगी ।

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