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राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 (National Security Act 1980), रासुका क्या है ?

रासुका क्या है ? What Is National Security Act In Hindi

रासुका क्या है:- रासुका जिसका पूरा नाम राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम है, और इंग्लिश में NSA जिसका पूरा नाम National Security Act है, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है, यह कानून राज्य और केंद्र सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक/ व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है।

उदाहरण:- सरकार के द्वारा  तब्‍लीगी जमात से जुड़े लोगों के अस्पताल में महिला स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करने, सरकार के आदेश नहीं मानने, व स्वास्थ्य विभाग के सदस्यों  के साथ की जारी रही मारपीट के लिए   राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-1980 (National Security Act– NSA) के तहत कार्यवाही की जा सकती है ।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3 में नागरिको और  विदेशियों की  गिरफ्तारी के प्रावधान दिए गए है ।

नागरिकों की गिरफ्तारी

देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गिरफ्तारी:- अगर सरकार को लगता कि कोई व्यक्ति उसे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले कार्यों को करने से रोक रहा है,

कानून-व्यवस्था के लिए गिरफ्तारी :- सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है।

आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा पर गिरफ्तारी:-अगर उसे लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है तो वह उसे गिरफ्तार करवा सकती है।

जमाखोरों की गिरफ्तारी:- इस कानून के तहत जमाखोरों की भी गिरफ्तारी की जा सकती है।

इस कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।

विदेशियों की गिरफ्तारी:- अगर सरकार को ये लगे कि कोई व्यक्ति अनावश्यक रूप से देश में रह रहा है, और उसे गिरफ्तारी की नौबत आ रही है तो सरकार द्वारा  उसे गिरफ्तार करवा जा सकता है ।

गिरफ्तारी की सीमा

रासुका कानून के तहत किसी व्यक्ति को पहले 3 महीने के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। फिर, आवश्यकतानुसार, 3-3 महीने के लिए गिरफ्तारी की अवधि बढ़ाई जा सकती है। एक बार गिरफ्तारी की अवधि में 3 महीने से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती है। अगर, किसी अधिकारी ने इस कानून के तहत ये गिरफ्तारी की हो तो उसे राज्य सरकार को बताना होता है, कि उसने किस आधार पर उस व्यक्ति की गिरफ्तारी की है।

जब तक राज्य सरकार उस व्यक्ति की गिरफ्तारी का अनुमोदन नहीं कर दे, तब तक यह गिरफ्तारी 12 दिन से ज्यादा समय तक नहीं हो सकती है। अगर यह अधिकारी 5 से 10 दिन में जवाब दाखिल करता है तो इस अवधि को बारह की जगह 15 दिन की जा सकती है। अगर रिपोर्ट को राज्य सरकार स्वीकृत कर देती है तो इसे सात दिनों के भीतर केंद्र सरकार को भेजना होता है। इसमें इस बात का जिक्र करना आवश्यक है कि किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया और राज्य सरकार का इसपर क्या विचार है और यह आदेश क्यों जरूरी है।

गिरफ्तारी की  अधिकतम सीमा:- धारा 13 में गिरफ्तारी की  अधिकतम सीमा के प्रावधान दिए गए है, की किसी व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने हिरासत में रखा जा सकता है। लेकिन सरकार को मामले से संबंधित नवीन सबूत मिलने पर इस समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

मूल अधिकारों से टकराव:

  • सामान्यत: जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे कुछ मूल अधिकारों की गारंटी दी जाती है। इनमें गिरफ्तारी के कारण को जानने का अधिकार शामिल है। संविधान के अनुच्छेद 22 (1) में कहा गया है कि एक गिरफ्तार व्यक्ति को परामर्श देने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है, व संविधान के अनुच्छेद 22 (2) में कहा है की गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर एक व्यक्ति को अदालत में पेश किया जाना चाहिये। इनमें से अधिकतर अधिकारों के साथ  राष्ट्रीय सुरक्षा कानून  (National Security Act ) का टकराव है ।

आपराधिक प्रक्रिया संहिता से टकराव:

  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (Criminal Procedure Code) की धारा 50 के अनुसार गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार तथा जमानत के अधिकार के बारे में सूचित किया जाना चाहिये। इसके अलावा Criminal Procedure Code की धारा 56 तथा धारा 76 के अनुसार गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर एक व्यक्ति को अदालत में पेश किया जाना चाहिये। इनमें से कोई भी अधिकार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून  (National Security Act ) के तहत हिरासत में लिये गए व्यक्ति को उपलब्ध नहीं है।

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राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 pdf

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