क्या रेलवे में आरक्षित डिब्बे में यात्रा करते वक्त अगर अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा चोरी की जाती है, तो रेलवे की क्या जिम्मेदारी बनती है ?
यह एक अच्छा प्रश्न है, जो कि एक आम आदमी के दिमाग में जब वह रेलवे में सफर करता है तो आना वाजिब है, क्योंकि संसार का हर व्यक्ति कंजूमर है वह अपने जन्म के दिन से ही किसी न किसी वस्तु का उपयोग शुरू कर देता है | उसी प्रकार रेलवे में यात्रा करना भी कंजूमर की श्रेणी में आता है, और अगर रेलवे के आरक्षित डिब्बे में अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा प्रवेश करके चोरी की जाती है तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार होगा| क्योकि यात्रियो द्वारा रेलवे मे आरक्षित यात्रा के लिए किराया दिया गया है, अगर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था मे लापरवाही बरतने के कारण ऐसी घटना घटती है तो इसके लिए रेलवे स्वयं जिम्मेदार है |
ऐसे ही एक मामले मे श्रीमती मोल्लेटी अन्नपूर्णा गोदावरी एक्सप्रेस में 2nd Ac से यात्रा की थी | वह जब ट्रेन विशाखापट्टनम पहुंची तो उतरने पर पाया कि सूटकेस गायब है, जिसमे गहने और कीमती सामान था| पुलिस द्वारा आरोपियों को पकड़ लिया गया व सूटकेस बरामद कर लिया गया, इसके लिए मोल्लेटी अन्नपूर्णा द्वारा उपभोक्ता फोरम में अपील की गयी | उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) द्वारा 5 जून 2015 को रेलवे को आदेश दिया गया कि वह अन्नपूर्णा के गहनों के लिए ₹1,00,000 हर्जाना व ₹5000 कानूनी कार्रवाई के हर्जाने के लिए दे |
रेलवे द्वारा इसके खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में चुनौती दी 28 फरवरी 2018 को आयोग में रेलवे की अपील को खारिज कर दिया, और जिला फोरम के आदेश को कायम रखा|
रेलवे द्वारा इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में चुनौती दी, रेलवे के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा कहा गया कि आरक्षित डिब्बे में अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा प्रवेश किया गया व रेलवे की वह सुरक्षा की अनियमितताओं के कारण रेलवे को जिम्मेदार ठहराया गया और रेलवे की अपील को खारिज करते हुए अन्नपूर्णा को हर्जाना देने के आदेश दिए गए |